द्रोपती
- Mast Culture

- Oct 9
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By Samruddhi Chunariya
कब तक सहमी रहेगी तु द्रौ पदी
अपने कृष्ण के इंतजा र में
अब दि खेगा दुशा सन हर नर की छां व में
ना हो गा महा भा रत तेरे केअपमा न में
क्यों कि पां डवो ने उठा ई है मो मबत्ती
तेरी प्रति शो ध की आग में
देखो गा ण्डि व पा र्थ का
कैसे को ने में पड़ा हुआ था
जैसे बड़े प्या र से तुझे कि सी ने दुला रा था
देख द्रो पती ये तेरी परी क्षा है
दि खा दे नर से ज्या दा ना री में प्रबलता है
उठा वो गा ण्डि व जो को ने में पडा हुआ है
बा ता दे सबको तेरे हा थ में सुदर्शन चक्र घुम रहा है
कर अब मर्दन तेरे शत्रुओं का अब ना सहमी सी रह तू दि खा दे सबको की ना रा यण का अंश है तू, ना रा यण का अंश है तु ॥
By Samruddhi Chunariya



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