मंगल पांडे
- Mast Culture

- Oct 9
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By Sangeeta Singh
आजादी की प्रथम मंगल शंख-ध्वनि गूँज उठा
सन् अठारह सौ सन्तावन में"कोलकत्ता के हुगली में"
एक सदी तक जन-मन में,
प्रज्वलित था चिंगारी में,
डलहौजी के दमन-नीति से
राजा और रंग नीति से
विद्रोह का ज्वार उमड रहा था सैनिकों में,
भृकुटी ताने अग्रज बन गुलामी के कालखंड को
दीनानाथ के लाल ने ललकारा था
प्रण है "खंडित होने नहीं दूंगा
धर्म,संस्कृति व मातृभूमि को " ।
" कारतूस में चर्बी का लेपन किया जाता है क्या" ।
प्रतिउत्तर न आया प्रशासन से
लाल मंगल के ज्वाला से,
जब हूसन टकराया था
देखते ही देखते अतीत हो आया
"अभी नहीं तो कभी नहीं"
मार भगाओ फिरंगियों को
आजादी की हुंकार से ब्रिटिश हुकूमत थर्याया था।
हथकड़ी में भी सिंह-नाद जैसा गर्जन देख
भविष्य का आभास हो आया था ।
फिरंगी अट्टाहस कर बोल पड़ा
" आठ अप्रैल को बलि-बेदी में तेरा सूर्यास्त होगा" ।
आत्म ज्योति मुस्कुरा कर बोला
" युगों-युगों तक गूंजेगा,
भारत में शौर्यता का मंगल-राग " ।
By Sangeeta Singh



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