लाहौर
- Mast Culture

- Oct 10
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By Tejeshwar Singh
मुझे अब खामोशी से जीना आ गया
तेरी तसवीर से बात करना आ गया
आँसू बगावत पर उतर आएं है मेरे
मुझे अब वक्त से लड़ना आ गया
शहर में अब परिंदों की आवाज़ नहीं आती
उन्हें पिजरों में सिमट कर जीना आ गया
बटवारे की लकीर दिल से कुछ यूं गुज़री
मेरी मोहब्बत का घर लाहौर में आ गया
By Tejeshwar Singh



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