शान - ए - तिरंगा
- Mast Culture

- Oct 10
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By Vaishnavi Holey
तिरंगे की शान वो ख़ामोश न हो पाए,
शहीदों का कफ़न कहीं मायूस न हो जाए।
करो मुकम्मल हर वादा उस तिरंगे से,
जो पाओ तले कभी कुचलता न चला जाए।
आओ करें आज़ाद इस देश को फिर इक
बार,
मिट्टी की ख़ुशबू को फ़ख़ हो फिर इक बार ।
क़लम की स्याही नहीं, ये लहू की धारा है,
शान-ए-हिंदुस्तान का रहे चमकता सितारा ।
कुछ इस क़दर क़लम मेरी उल्फ़त का जुर्म कर
जाए,
आज़ादी की हुकूमत में ता-उम्र ग़ुलाम बन जाए।
है क़ुबूल क़ैद मुझे इस सरज़मीं की शान में,
पर किसी सूरत में वतन को बैरी ख़यालों से आज़ादी मिल जाए।
By Vaishnavi Holey



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