Paths of Avoidance
- Mast Culture

- Oct 9
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By Akash Kumar Mishra
मेरा दिल दुखता है मैं जब भी गुलाब देखूं
मुझे घिन आती है जब भी मैं शराब देखूं
वो गुलाब ही क्या जो तेरी बालों में ना हो
वो नशा ही क्या जो तेरी आँखों सा ना हो
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तेरे शहर से लगकर जाने वाले रास्तों से भी नहीं गुजरूँगा मैं,
तेरी झलक तक का जोखिम नहीं लूँगा मैं।
एक दफ़ा दूर से देखा तो ये हसर हुआ,
अब न जाने तेरा मिलना क्या क़यामत लाएगा...
By Akash Kumar Mishra



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