Prem ki Paribhasa
- Mast Culture

- Oct 10
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By Uma Sharma
मैं छोड़ बाबुल को,तेरा साथ निभाउ
क्या तुम भी साथ निभाओगे
मैं ना चाहूं राधा सा बनना। ना तुम्हें माधव बनाऊं मैं
ना रूक्मिणी सी वेदना लेकर , संगिनी बन इठलाऊं मैं,
केवल इतना अधिकार देना, सुख-दुख में साथ निभाउ मैं,
कांटों भरी हो राह , तो तुमसे आगे चलना चाहूं मैं,
आ जाए खुशियों का मेला, तो अपनो की भीड़ में ना को जाऊं मैं,
बस इतना देना अधिकार की, सीता सी बन जाऊं मैं,
मैं बनकर के कोई राही चलूं, तुम मार्गदर्शक बन मार्ग दिखाओगे,
और बनूं अगर मे 'राम की सीया'
तुम ' सीया के राम ' बन पाओगे,
श्री राम ने दिया वैदेही को, ऐसा महत्व दे पाओगे,
हर बात मान लूंगी तुम्हारी , एक निर्णय भी मुझसे पुछकर ले पाओगे,
केवल विवाह कर गृह लक्ष्मी नहीं,मन में बसाकर जीवन साथी बना पाओगे,
बन जाऊं मैं ' राम की सीया'
तुम ' सीया के राम ' बन पाओगे ।
By Uma Sharma



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