अटल पत्र
- Mast Culture

- Oct 9
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By Sangeeta Singh
माँ-भारती को नमन कर,
पत्र में कमल-पुष्प भेज रहा हूं,
एक सदी का हो चुका हूं ।
कवि हृदय को कालचक्र ने राजनीतिज्ञ बनाया,
हर विपदा ने संयम रखना सिखाया,
पथरीले-पथ में चलना सिखाया ।
"हार न मानूंगा" यही जीवन-मंत्र है मेरा,
आपातकाल के विभत्तस-रूप से अनुभव पाया,
विपक्ष में रहकर लोकतंत्र को सशक्त बनाया ।
राष्ट्र ने तीन बार हर्षोल्लास से प्रधान का ताज पहनाया,
नियति ने संघर्ष व सपनों का समन्वय सिखाया,
तेरह दिन में ही एक वोट से चोट खाया,
सिंहासन छोड़ दिया
पर नैतिक मूल्यों को ना गिरने दिया ।
पोखरण परीक्षण से दुनिया को चौकाया ,
रक्षा-क्षेत्र में भारत-माता का आत्म-बल बढ़ाया,
कारगिल में शौर्यता से मां-भारती को विजय-श्री का मुकुट पहनाया ।
पड़ोसी से मित्रता का हाथ बढ़ाया,
पर खोट था, हृदय में चोट पाया ।
एक कमल असंख्य बनकर विकास-रथ के पथ पर,
उज्जवल भविष्य की ओर चल पड़ा ।
हम भारतवासीयों को हृदय से प्रण दोहराना होगा,
भेद-भाव की नींव पर नहीं,
विकास की आधार-शिला बनाएंगे,
भातृत्व की भावना से मातृ-भूमि को सजाएंगे।
अनंत यात्रा पर निकल चुका हूं,
अतीत बनकर अमर हो चुका हूं,
" कृष्ण बिहारी की आत्म-ज्योति "
युगों-युगों तक मीरा बनकर गाएगी देशभक्ति की रागनी ।
धन्यवाद
By Sangeeta Singh



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