भारत-माता
- Mast Culture

- Oct 9
- 1 min read
By Sangeeta Digvijay Singh
माँ-भारती दो सौ सालों तक
परतंत्रता की बेड़ियों में,
हिंद के नभ में काला बादल छाया,
अतीत में अंकित है काली स्याही से
अन्याय, क्रूरता की कहानी ,
बाग-बगीचे उजड़ रहे थे
अदृश्य हो गई स्वर्ण चिड़िया,
धर्म-संस्कृति पर प्रलोभन का जाल छाया
हस्तशिल्प,कृषि,कला पर
दमन का बादल मंडराया
कर,छल,बल, ढोल बजाकर नर्तन करता,
सृष्टि की दृष्टि विस्मित ना हो पाएगी ।
जन-जन में भेद-नीति से विद्रोह का स्वर गूंज उठा,
आजादी की चिंगारी सुलग गई
भारत माता को आजाद कराने असंख्य वीर सपूत
तन, मन,धन से समर्पित हो गये,
देश-भक्ति की भावना से लाल आज़ादी के
हवन-कुंड में अर्पित हो गये,
वीर सपूतों ने अहिंसा, त्याग, बलिदान,शौर्यता से,
भारत-माता को आज़ाद करवाया
By Sangeeta Digvijay Singh



Comments